Baatein Tumhari!

तुम्हारे पिघले-पिघले से लबों पर
कशिश की एक बूँद कब से ठहरी हुई,
मेरे लबों की प्यास बढ़ा रही है!

तुम्हारी गीली रेशमी ज़ुल्फें जो बंधी है एक दूसरे से
खुलने को बेताब मेरी उँगलियों से,
शर्म के ये परदे गिराने को घटायें छा रही है!

मेरे करीब आने पर तुम्हारी गहराती साँसें और बेसब्र आहें
मेरी साँसों में इत्र तुम्हारी महक का घोल कर,
निशाओं में मदहोशी के जाम छलका रही है!

मेरी हथेलियों की नरमी जब छूती है तुम्हारे कमरबन्द छल्ले
तो तुम्हारे जिस्म की बेहिसाब इठलनें और करवटें,
मेरी हाथों की सख्ती कमर पर और बढ़ा रही है!

तुम्हारे नूर का लिबास पहने इक झोंका इश्क़ का
मेरे दिल पर अक्सर खटखटाता है,
धड़कनें मेरी तुम्हारे ज़िक्र से तेज़ होती जा रही है!

नैनों में घुलते तुम्हारे हूर और हया के शबाब में
मुहब्बत के जाने कितने दरिया समाये है,
इन पलकों के किनारों पर उछलती इशारों की लहरें मेरी बेताबियाँ बढ़ा रही है!

मेरी बाहों में जब टूट जाती है तुम्हारी बाहें
सीने पर कम्पन्न उठता है तुम्हारी साँसों का,
लिपट कर तुम्हारे रूही एहसास मुझे अन्जानी सी कोई कहानी सुना रही है!

तुम्हारे करीब रहकर ये यकीन मिलता है
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी का नसीब मिलता है,
बातें तुम्हारी आजकल मेरे दिन और रातों को शबनमी बना रही है!

कुछ तो दास्ताँ है तुम्हारी
जो तुम्हारी आँखें मुझसे कहती जा रही है,
कुछ तो बात है तुम में
जो तुम्हारी तरफ मुझे खींचे जा रही है,
बातें तुम्हारी आजकल मेरे लबों पर करवटें लेती लकीरें बिछा रही है!

~ साहिल

Yun toh me Shayar Nahi!


यूँ तो मैं शायर नहीं
पर कभी-कभी एक चाहत ऐसी भी होती है,
कि शायरों की शायरी से कुछ लफ्ज़ चुरा कर
तुम्हारी पलकों की चिलमन में रख सकूँ!

कि गुज़रे वक़्त के एहसासों से भरे कुछ लफ्ज़
जिनके मानी अब खो गये है,
उन्हें तेरी बाहों की पनाह दे सकूँ!

कि उन गीतों के कुछ लफ्ज़
जिनके सुर तुम्हारे नूर में उलझे है,
उन्हें तुमसे मिला कर महफ़िल-ए-ग़ज़ल सजा सकूँ!

यूँ तो मैं शायर नहीं
पर कभी-कभी एक चाहत ऐसी भी होती है,
कि तेरे जिस्म से लेकर तेरे एहसासों की
हर वो छोटी से छोटी तफसील,
कुछ लफ्ज़ों की स्याही में रखकर
एक नज़्म में उतार सकूँ!

एक चाहत ऐसी भी होती है,
कुछ लफ्ज़ों की दुनिया में
तुझे हर रोज़ सिर्फ अपना बना सकूँ!

– Sahil

(April, 2017)

Zulfein

तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साये में बिखरा मिलता है मेरा अक्स
यूँ हाथों से सरका कर तुम उलझाया ना करो,
मैं इस कोशिश में कि एक इशारा मिले अगर हवा का
किसी लट में लिपट कर तुम्हारे लबों पर बैठ जाऊं,
बड़ा प्यारा लगता है तेरी साँसों का इत्र पी लेना
यूँ लबों से लटों को उठाया ना करो!

ज़िन्दगी के साये गुम है कहीं
तुम्हारी बाहों से आज़ाद क्या हुए, फिरते रहते है आवारा,
यूँ फैला कर अपनी बाहों की सरगोशियाँ
फिर से बेचैनियाँ बढ़ाया ना करो!

तेरे चेहरे से जग कर हर सुबह ख़्वाब से मिलता हूँ
इन सुबहों में तुम यूँ प्यार बरसाया ना करो,
आदतें तेरी बड़ी नशीली है, लत्त लगी है मुझे तेरी
यूँ बेहया रातों में तुम शर्म का परदे उठाया ना करो!

ज़िन्दगी मुर्शिदा है तेरी हथेली में उम्र भर
यूँ हाथों की लकीरों से मुझे मिटाया ना करो,
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साये में बिखरा मिलता है मेरा अक्स
यूँ हाथों से सरका कर तुम उलझाया ना करो!

~ साहिल

(अगस्त 2017)

Dil Karta Hai 💕

दिल करता है बस देखता ही रहूँ
इस चेहरे की रौनक को आँखों के प्यालों में भरता रहूँ!

इन निगाहों पर शर्म से झुकती पलकें
और बालों का हलके से गालों को चूमना,
कुछ करवटें लेती लकीरों का
इन नर्म होठों पर आ कर ठहरना,
दिल का धड़कना ज़ोरों से
और अंदर ही अंदर एक गहरी आह भरना,
काँधे पर लटकते पल्लू से
हया का घूंघट ओढ़ लेना,
और रात के मैखानों में
खूबसूरती का जाम पी लेना,
सब कुछ कितना हसीन सा लगता है
जैसे कोई अप्सरा का रूप हो तुम!

दिल करता है बस देखता रहूँ
और अपनी नज़्मों में तुम्हारा श्रृंगार करता रहूँ!
दिल करता है बस देखता रहूँ
और…
बस देखता ही रहूँ 🙂

~ Sahil 😍
(17th Feb, 2017)

Wajood

तुम चहरे पर उतरती हो आफताब की रोशनी बन कर,
हर सहर मेरी बाहों में अंगड़ाइयाँ भर जाती हो।

तुम फ़िज़ाओं में बहती हो सरगोशी का लिबास ओढ़े,
मेरी साँसों को अपनी महक का घूँट पिला जाती हो।

तुम खेलती रहती हो लहरों की करवटों में उलझकर,
साहिलों पर रेत की नमी बन ज़िन्दगी के अनेक राज़ बहा ले जाती हो।

तुम बैठ जाती हो यादों के गलियारों में हर शाम,
बेवजह इन लबों पर एक रूहानी हँसी छोड़ जाती हो।

तुम रात के आगोश में ओझल हो जाती हो नज़रों की धुंध में सिमट कर,
अप्सरा बन मेरे सपनों में घर कर जाती हो।

तुम जो दिल खोल कर मुस्कुरा लेती हो ज़िन्दगी की बाहों में,
शायद तुम्हें पता नहीं, तुम मुझे जीने का वजूद दे जाती हो।

~ Sahil 💝
(23rd Feb, 2017)

Aankhon ke Ishaarein!

अनकही सी कितनी बातें कह जाते है,
महफिलों में प्यार के लफ्ज़ बन जाते है,
बेबसी इन लबों की ये अक्सर मिटा जाते है,
आँखों के इशारे 
जब प्यार की ज़ुबाँ बन जाते है!

जो बयाँ शब्दों से नहीं होता,
जो एहसास बातों में नहीं होता,
अजीब सी कशिश एक दूसरे से मिलने की,
आँखों के इशारे 
पलकों की झपकी में कर जाते है!

यादें, मुलाक़ातें या शोर करते सन्नाटों के दरमियाँ,
दिल के तारों को जोड़ते ये खामोश अफ़साने,
उल्फत की चादर ओढ़े अक्सर क़यामत कर जाते है,
आँखों के इशारे जब 
दो दिलों की एक धड़कन बन जाते है!

~ Sahil
(9th Jan, 2017)

Someone 💕

As I load my bags
To travel a new day,
As the curves appear to set
Hoping for a lovely day,
I take a chance to let the heart skip a beat,
I take a chance to let the life give me reason to breathe!
I know the day is yet to come
I know there is lot more yet to happen,
I’m waiting to give smile a reason
I’m waiting for that one Someone…!

Someone, who brings out the best of life,
Someone, who can put my fears aside,
Someone, who will be the ray of hope in sunset of life,
Someone, whose presence will bring the reason to stand and fight,
Someone, whose touch will be enough for pain to subside,
Someone, with whom life will really find its meaning to define!

As the time takes a tide
Let the waves meet the sides,
Brushing through the dusk and dawn
Let the trance put heart on stride!
With arms wide open and smile so big
I’m waiting for the one Someone…
Someone, who’s made to fill me with life 🙂

– Sahil

और तुम हो!

कुछ पलों के लिये
कुछ सुनाई ना दे,
कुछ पलों के लिए
कुछ याद ना आये।
बस एक अनेरी शान्ति हो,
कुछ एहसास हो,
और तुम हो!


समन्दर से लहरें उठती रहें
मेरे क़दमों से लिपटती रहें,
शाम ढल जाये
और आसमान अपनी चादर ओढ़ ले।
चाँद हो, शबाब हो,
नूर से बिखरते तुम्हारे एहसास हो,
और तुम हो!


लफ्ज़ खामोश रहे
खामोशियाँ बातें करे,
आँखों में आँखें डाले
रात का नशा चढ़ता रहे।
दिल हो, धड़कन हो,
एक ख़्वाब हो,
और तुम हो!


बाहों में तुम पिघलती रहो
हाथों में हाथ हो,
साहिल के दरमियाँ
बस हम और समन्दर पास हो!
एक ख़्वाब हो,
ज़िन्दगी बस एक रात हो,
और तुम हो!


~ साहिल

Ishaarein

बड़ा प्यारा लगता है
वो तेरा इशारों में बातें करना,
खामोश सदाओं में गूंजते
मोहब्बत के गीत सुनना!

वो तेरा बिन कहे सब कुछ कह जाना,
आँखों के ज़रिये कोई दास्ताँ बयान करना,
लम्हों के दामन में गुस्ताखियों से रातें काट लेना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरी पलकों के झपकने का इंतज़ार करना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो तेरा बातों-बातों में रूठ जाना
और इशारों से मुझे इख़्तिला करना,
नज़रें घुमाकर, मुँह बनाकर
यूँ मुझसे खफ़ा हो जाना,
तेरी लट्ट का तेरे लबों पर सरकना,
और फिर हल्के से नज़रें उठाकर तेरा मुस्कुरा देना,
बड़ा प्यारा लगता है…
तुझे इशारों में मना लेना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो भरी महफ़िल में मेरा क़त्ल करना,
और फिर अपनी पलकों पर हया के परदे गिरा देना,
शरमा जाना एक ही पल में,
और एक ही पल में अपना कायल बना लेना,
वो तेरी हया से झलकते नूर को निहारना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में क़यामत करना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो तेरे होठों से हवाओं में लफ्ज़ों का करवट लेना,
ख़्वाबों को पिघला कर आँखों के ज़रिये बयान करना,
तुझसे हो कर…सीधा मुझ तक पहुंचना,
और मुझसे हो कर…सीधा तुझ तक पहुंचना,
वो हमारी अन्तरंगी दुनिया का रोमांच,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में मेरे लबों पर सिसकना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

खामोश सदाओं में गूंजते
मोहब्बत के गीत सुनना,
बड़ा प्यारा लगता है
वो तेरा इशारों में बातें करना!

~साहिल