तुम कहती हो मुझसे
कि मैं भुला दूँ तुम्हें,
मगर ये भूल जाती हो तुम
भूलना तुम्हें मुझे अच्छा नहीं लगता।।।
लबों पर जो ज़ायका आता था तुम्हारी हंसी का
आँचल में तुम्हारे एक सुकून मिलता था,
छू कर गुजरता वो बचपना जो तुम्हारी मुस्कुराहट से
उस पल मे जैसे खुशनुमा एक ज़माना गुज़रता था।
अब ये होंठ अक्सर सिले से रहते है
बेवजह हँस लेना अब अच्छा नहीं लगता,
भूल जाती हो तुम
भूलना तुम्हें अच्छा नहीं लगता।।।
हाथों में लिए हाथ चले थे साथ साथ
एक नए सफर पर लिखने एक नया अंजाम,
तेरे साथ थी हर राह छोटी और हर मुश्किल आसान
लिख रहे थे दो दिलो के सफरनामा का बखान।
अब तन्हा उन राहो पर अकेला हूं
तेरे बिना सफर करना अच्छा नहीं लगता,
भूल जाती हो तुम,
भूलना तुम्हे अच्छा नहीं लगता।।।
दिन में सोता हूं, रातों मे जागता हूं
ख़्वाबों में तुमसे ही बातें करता हूं,
ये आँखें अब तरसती हैं तेरी एक झलक पाने को
मैं इन्हें तस्वीरों से बहला लेता हूं।
किसीसे मिलना अब अच्छा नहीं लगता
जिस दिन में तू ना हो
उस दिन में उठना अब अच्छा नहीं लगता,
भूल जाती हो तुम,
भूलना तुम्हें अच्छा नहीं लगता।।।
तुम कहती हो मुझसे
कि मैं भुला दूँ तुम्हें,
मगर ये भूल जाती हो तुम
भूलना तुम्हें मुझे अच्छा नहीं लगता।।।
~ साहिल