Long Drive

रात के अँधेरे में,
जब सारी कायनात गुम रहती हैं सपनों में
वो चुपके से निकलता हैं,
गाडी की चाबी लिए हाथों में।

एक पत्ता तक नहीं हिलता,
उसके क़दमों की आहटों में
पलकें झपकतें ही वो गायब हो जाता हैं,
और निकल पड़ता है एक Long Drive पर शहर में।

मैं रोज़ देखता हूं उसे,
मगर कभी रोक नहीं पाता
उसे शायद अंधेरो से प्यार हो गया हैं,
खामोश रास्तों पर घूमना शायद अच्छा लगता है।

वो बड़ी तेज़ी से गुज़र जाता हैं,
यादों की गलियों से
फुटपाथ पर कभी-कभी,
अपने दोस्तों से गप्पे मार लेता है
वो धीरे-धीरे बढ़ता है पुराने घर की ओर,
जहाँ बचपन का मौसम हुआ करता था,
जहाँ सपने छोटे पर खुशियां बड़ी हुआ करती थी,
जहाँ ज़िन्दगी में ज़िन्दगी हुआ करती थी।

आँसू लिए आँखों में वो निकल पड़ता है
और पहुँचता है शहर के उस कोने में,
जहाँ मैं अक्सर जाया करता था
वहाँ समुद्र और बादल को एक दूसरे में घुलते देख,
मन को सुकून मिलता था
वहाँ मैं अपने सारे ग़म और दर्द,
ठंडी हवाओं से बाँट लिया करता था।

अब वहाँ जाकर अक्सर अंधेरों में वो दिन ढूंढता है,
कि शायद कोइ ग़म या दर्द उसे मिल जाए।
दिल के इस मामूल में अब मैं भी शामिल हूं,
ढूंढने खुद को अक्सर साथ चल लेता हूं !

रात के अँधेरे में,
जब सारी कायनात गुम रहती हैं सपनों में,
मैं और दिल अक्सर निकल पड़ते है Long Drive पर यादों के अफसानों में।।।

-Sahil

Ishaarein

बड़ा प्यारा लगता है
वो तेरा इशारों में बातें करना,
खामोश सदाओं में गूंजते
मोहब्बत के गीत सुनना!

वो तेरा बिन कहे सब कुछ कह जाना,
आँखों के ज़रिये कोई दास्ताँ बयान करना,
लम्हों के दामन में गुस्ताखियों से रातें काट लेना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरी पलकों के झपकने का इंतज़ार करना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो तेरा बातों-बातों में रूठ जाना
और इशारों से मुझे इख़्तिला करना,
नज़रें घुमाकर, मुँह बनाकर
यूँ मुझसे खफ़ा हो जाना,
तेरी लट्ट का तेरे लबों पर सरकना,
और फिर हल्के से नज़रें उठाकर तेरा मुस्कुरा देना,
बड़ा प्यारा लगता है…
तुझे इशारों में मना लेना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो भरी महफ़िल में मेरा क़त्ल करना,
और फिर अपनी पलकों पर हया के परदे गिरा देना,
शरमा जाना एक ही पल में,
और एक ही पल में अपना कायल बना लेना,
वो तेरी हया से झलकते नूर को निहारना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में क़यामत करना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

वो तेरे होठों से हवाओं में लफ्ज़ों का करवट लेना,
ख़्वाबों को पिघला कर आँखों के ज़रिये बयान करना,
तुझसे हो कर…सीधा मुझ तक पहुंचना,
और मुझसे हो कर…सीधा तुझ तक पहुंचना,
वो हमारी अन्तरंगी दुनिया का रोमांच,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में मेरे लबों पर सिसकना,
बड़ा प्यारा लगता है…
वो तेरा इशारों में बातें करना!

खामोश सदाओं में गूंजते
मोहब्बत के गीत सुनना,
बड़ा प्यारा लगता है
वो तेरा इशारों में बातें करना!

~साहिल

बचपन के दिन

बीत गयी वो शामें,
छूट गए वो दिन,
जवानी के साँचे में ढलते-ढलते,
जाने कहाँ गुम हुए वो बचपन के दिन।
याद आता हैं वो मासूमियत का मौसम,
वो बचपन का सावन
काश कोइ लौटा दे,
वो खुशियों से भरे बेफिक्रे दिन।।।

वो कागज़ की कश्ती डूब गई,
वक़्त की लहरों में
वो रेशम की गुड़िया भी रूठ गई,
तन्हा फासलों के झूलों में
भीनी रेत की महक अब यादों में ही रहती हैं,
वो बारिश की हँसी रह गई बचपन की लकीरों में।
ना गुज़रते तो बेहतर होता,
ना बिछड़ते तो बेहतर होता,
सिलसिला बचपना का यूँही चलता रहता,
संग होते बचपन के दिन तो बेहतर होता।।।
जी रहे हैं, 
मगर ज़िन्दगी नहीं हैं
हँस रहे हैं,
मगर ख़ुशी नहीं हैं
दिन से रात हो जाती हैं,
शामें नहीं होती
बचपना अब एक आदत हैं,
फितूर नहीं हैं।
बसर रही हैं ज़िन्दगी,
वक़्त के टुकड़ों को गिन
काश कोई लौटा दे,
वो बचपन के सुनहरे दिन।।।

बीत गयी वो शामें,
छूट गए वो दिन,
जवानी के साँचे में ढलते-ढलते,
जाने कहाँ गुम हुए वो बचपन के दिन।
याद आता हैं वो मासूमियत का मौसम,
वो बचपन का सावन
काश कोइ लौटा दे,
वो खुशियों से भरे बेफिक्रे दिन।।।

-साहिल

Happy Children’s Day 🙂
#CelebrateTheBachpan

Rehguzar

वो तमाम किस्से, वो तमाम बातें,
ज़ुबान से बयाँ हुआ हर लफ्ज़
और सभी हसरतें…
तेरी तस्वीर हर पल इन पलकों पर बसर करती है,
जाने कब से झपकी नहीं है ये पलकें,
उन मुलाक़ातों की रहगुज़र में
आज भी खुद को जगाए बैठी है!

तेरी यादों का तूफ़ान कभी-कभी
जब दिल में उभर आता है,
हज़ारों अल्फ़ाज़ आँसुओं की धारा में बहा ले जाता है।
देखता हूं खुद को आईने में अब
तो उन पिघली आँखों से कुछ हल्की लकीरें निकलती दिखाई देती है,
शायद वो राहें थाम मेरे आंसू ही होंगे,
जो तेरी यादों की रहगुज़र में अक्सर वहाँ से गुज़रते है!

कहकशा तेरे रूहानी लफ़्ज़ों का
आज भी मयस्सर है मेरे ज़हन में,
सुबह तो हुई है नयी
पर वो एहसास अब भी रुखसत नहीं।
तेरी आहटें पनपती है अक्सर
जैसे आग सीना ताने जल रही हो दीये पर,
उस आग से निकलते धुएं की तरह
तेरी बरक़त रहगुज़र है मेरे माथे पर,
शायद इसीलिये हर सुबह दुआ में
मेरी ज़ुबान पर आज भी तेरा नाम शामिल रहता है…
तेरा ज़िक्र, तेरे ख़याल से रहगुज़र रहता है!

~Sahil

Talaash Khushi Ki

Darbadar thokrein khata phir raha hai,
Na jaane kiski talaash hai!
Khayali pulav pakaata phir raha hai,
Na jaane kiski aas hai!!!

Galatfahmi me rehta hai
Wo ladta ja raha duniya se,
Bachpana uska ab kho raha
Kisi manzil ki talaash me,
Kisi aur ke sapno ko apna banakar
Chala hai unhe pura karne,
Kisiko kya padi uske dil me kya hai
Bas laga diya zindagi ki hod me!
Dil aur dimaag ka faasla
Ab aur badhta hi ja raha hai,
Jaane kis khushi ki talaash me
Wo daud laga raha hai!!!

Ruk ja, tham ja
Kuch pal theher ja,
Dekh zara tere dil par kis kadar
Ye dimag haavi ho raha!
Jab pata hi nahi manzil kya hai
Toh kyu hai iss kadar ghut raha,
Apne sapno ko bhula kar
Kyu kisi aur ke sapno ke mehel bana raha!
Khushi ki talaash me sab kuch hai bhula
Jhaank zara apne dil me
Kya nahi dikhta tujhe khushiyon ka pata???
Khushi ko dhundh mat
Use sanjo apne andar,
Apne sapno ko pura kar
Aur khushiya faila har kadam!
Khushi ki iss talaash ka safar
Tere andar hi khatm hoga,
Dil me tere jab sapno ko jeene ka
Tera apna safar shuru hoga!!!

Darbadar thokrein khata phir raha hai,
Na jaane kiski talaash hai!
Khayali pulav pakaata phir raha hai,
Na jaane kiski aas hai!!!

~Sahil