रात के अँधेरे में,
जब सारी कायनात गुम रहती हैं सपनों में
वो चुपके से निकलता हैं,
गाडी की चाबी लिए हाथों में।
एक पत्ता तक नहीं हिलता,
उसके क़दमों की आहटों में
पलकें झपकतें ही वो गायब हो जाता हैं,
और निकल पड़ता है एक Long Drive पर शहर में।
मैं रोज़ देखता हूं उसे,
मगर कभी रोक नहीं पाता
उसे शायद अंधेरो से प्यार हो गया हैं,
खामोश रास्तों पर घूमना शायद अच्छा लगता है।
वो बड़ी तेज़ी से गुज़र जाता हैं,
यादों की गलियों से
फुटपाथ पर कभी-कभी,
अपने दोस्तों से गप्पे मार लेता है
वो धीरे-धीरे बढ़ता है पुराने घर की ओर,
जहाँ बचपन का मौसम हुआ करता था,
जहाँ सपने छोटे पर खुशियां बड़ी हुआ करती थी,
जहाँ ज़िन्दगी में ज़िन्दगी हुआ करती थी।
आँसू लिए आँखों में वो निकल पड़ता है
और पहुँचता है शहर के उस कोने में,
जहाँ मैं अक्सर जाया करता था
वहाँ समुद्र और बादल को एक दूसरे में घुलते देख,
मन को सुकून मिलता था
वहाँ मैं अपने सारे ग़म और दर्द,
ठंडी हवाओं से बाँट लिया करता था।
अब वहाँ जाकर अक्सर अंधेरों में वो दिन ढूंढता है,
कि शायद कोइ ग़म या दर्द उसे मिल जाए।
दिल के इस मामूल में अब मैं भी शामिल हूं,
ढूंढने खुद को अक्सर साथ चल लेता हूं !
रात के अँधेरे में,
जब सारी कायनात गुम रहती हैं सपनों में,
मैं और दिल अक्सर निकल पड़ते है Long Drive पर यादों के अफसानों में।।।
-Sahil