Mein Zindagi Hoon!

मैं ज़िन्दगी हूँ
हर कदम जीना सिखाती हूँ!

कभी गिराती हूँ
गिरा कर उठाती हूँ,
कभी रुलाती हूँ
रुला कर हँसाती हूँ,
कभी सताती हूँ
सता कर बताती हूँ,
कभी जताती हूँ
जता कर सिखाती हूँ,
मैं ज़िन्दगी हूँ
हर कदम जीना सिखाती हूँ!

तेरी शिकायतों से वाकिफ़ हूँ
तेरी बेरुखियाँ भी उठाती हूँ,
तू समझता है खुद को जितना
तुझसे ज़्यादा तुझे पहचानती हूँ,
यूँ ना दिखा मुझे नक़ाब अपने
तेरे हर चेहरे के पीछे का राज़ मैं जानती हूँ,
कभी फुर्सत के पल ले कर मिलना मुझे
तुझे तुझसे रूबरू कराती हूँ,
मैं ज़िन्दगी हूँ
हर कदम जीना सिखाती हूँ!

मुझे मालूम है तेरी बेताबियाँ
मैं सह लूँगी तेरी रुसवाईयाँ
तेरी सारी फिक्रें महफूज़ है मेरे पास
मैं पढ़ रही हूँ तेरी खामोशियाँ,
तू यूँ ना जुदा कर खुद को मुझसे
मैं बाँट लूँगी तेरी तन्हाईयाँ,
जानती हूँ आसान नहीं है मुस्कुराना
मैं चुरा लूँगी तेरी सारी परेशानियाँ!

अभी बहुत कुछ बाकी है इस सफ़र में
तुझे सम्भाल लूँगी मैं हर कदम में,
मैं ज़िन्दगी हूँ
पूरी कहानी जानती हूँ
मैं ज़िन्दगी हूँ
हर कदम जीना सिखाती हूँ!

– साहिल
(15th November, 2018 – Thursday)

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