A Letter to 2019!

अब जो आए हो तुम
तो ज़रा ठहर कर जाना,
पलकें झपकते ही
कहीं खो ना जाना!

पिछली बार जब आए थे
तो ज़रा जल्दी में थे तुम,
हाथ में रख कर कुछ पल फकत
लौट गए थे तुम,
कितना कुछ था जो हौले-हौले होना था
कितने तंग इरादों को सुकून से सोना था,
हर रात में सुबह का
और सुबह में रात का
हर एक लम्हा पिरोना था,
मगर रफ्तार कुछ ऐसी थी
जाने कहाँ किस मोड़ किसे भूलते गए हम,
राहें बदलती गई इस कदर
रिश्तों में शक्ल-सूरत बदलते गए हम,
इससे पहले कि किनारे समझ पाते
कश्तियाँ बन बहते गए समन्दर,
वक़्त चलता रहा दोगुनी तेज़ी से
और हम भटक गए जैसे बीच मेले कोई गुमनाम बंजर!

काफी कुछ था जो तुमसे रूबरू होना था
काफी कुछ था जिसे मुक़म्मल होना था,
वो बेरंग इरादे, वो झूठे वादे,
वो अधूरी ख़्वाहिशें, वो नामंज़ूर फरमाइशें,
वो गहरे अँधेरे, वो धुँधले उजाले,
वो फ़रमान अपनों के, वो हमराज़ गैरों के,
कोरे पन्ने और रूठे हुए लफ्ज़,
एहसासों में बिखरे वो उम्र भर के कब्ज़,
तेरे संग हर राज़ को थामे रखना था
पिछली बार जब आए थे तुम
कुछ देर तुम्हें और रहना था!

ज़िन्दगी में कुछ नए रंग चढ़ चुके है
कुछ नए लहजे, कुछ नए किस्से जुड़ चुके है,
हैरान हो कर तुम सहम ना जाना
ज़िन्दगी के इस रंग को मेरी तरह अपनाना,
काफी कुछ है जो होना है तेरे साथ
मेरे कुछ सपनों में मेरा हाथ बँटाना,
ज़रूरतें भी बढ़ने लगी है जीने की
उम्मीदों के फर्श पर तुम फिसल ना जाना,
बैठ कर सुकून से सब सुलझा लेंगे धीरे-धीरे
बस तुम पिछली बार की तरह खो ना जाना,
अचानक ही लापता जो हो गए थे तुम
इस बार बिन कहे चले ना जाना,
एक-एक पल के कदम बड़े आराम से रखना
जल्दी-जल्दी में कहीं कुछ भूल ना जाना,
अब जो आए हो तुम
तो ज़रा आराम से मिलते जाना!

मुबारक हो तुम्हें
इस बार ज़रा तुम भी मुस्कुराना,
बेहतर बना कर ज़िन्दगी को
हसरतों के पूल बिछाना,
दिन में वही सफ़र करके
रात को मेरे साथ बैठ जाना,
कुछ पुरानी, कुछ नई यादों में
वक़्त की स्याही से एहसास भर जाना,
उम्मीद है सफ़र बेहतर रहेगा
तुम भी आराम से वक़्त बिताना,
अब जो आए हो तुम
तो ज़रा ठहर कर जाना,
पलकें झपकते ही
कहीं खो ना जाना!

Goodbye 2018, you gave so much!

Welcome 2019, be good 🙂

Happy New Year to all of you!

Thanks for reading 😊

~ साहिल

(31st December 2018, Monday)