उमंगो की लहरें बहती जाती है
ख़्वाहिशों की कश्तियाँ दौड़ लगाती है,
थम कर कुछ देर ये एहसासों की रेत
दोस्ती के किनारे कुछ लम्हें सजाती है!
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जश्न मनाती है शामें उतरकर
आफ़ताब का हल्का कश लगाती है,
बैठ कर अक्सर ज़िन्दगी के मौसम में ये
दोस्ती के किनारे रिश्ते बनाती है!
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सारे शिक़वे, सारे अँधियारे
अन्दर छुपे गहरे राज़ सारे,
थाम कर अपने आँचल में, कुछ यूँ सुलाती है
दोस्ती के किनारे अक्सर खुद से मिलाती है!
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किसी मंज़िल का अजनबी रास्ता है ये
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी का वास्ता है ये,
दूरियों में नज़दीकियाँ बनाती है
दोस्ती के किनारे कितनी कहानियाँ बन जाती है!
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मिलता नहीं वो एहसास किसी रिश्ते में
जो करिबियाँ दोस्ती ले आती है,
चाहे जैसे हो, जो हो, वक़्त और हालात
दोस्ती के किनारे ज़िन्दगी मिल जाती है!
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ये दिन दोस्ती का नहीं, दोस्ती से ये दिन है
हर पल, हर दम, यारियों का मौसम है,
ओढ़ कर चुनर खुशियों के फ़लक की
दोस्ती के किनारे हसरतें डूबकी लगाती है!
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शुक्रिया कहना लाज़िमी ना होगा
दोस्ती कहाँ किसी दायरे में सिमट पाती है,
ये समंदर है ज़िन्दगी के जहाँ कश्तियाँ अक्सर अंधेरों में
दोस्ती के किनारे सुकून से ठहर जाती है!
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#FriendshipDay2017
– साहिल
(5th August, 2017)
Superb 😃
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Shukriya dost 🙂
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