Khaamosh Lafzon Ki Kahaani!

बहुत कुछ बदल जाता है
जैसे जैसे उम्र छोटी होती जाती है,
और ज़िन्दगी बड़ी!

लगता है जैसे अभी तो ज़िन्दगी की ऊँगली पकड़कर चलना सीखा था,
जैसे अभी तो ज़िन्दगी का दामन थाम कर सम्भलना सीखा था!
ख़्वाबों के पंख अभी लगने ही थे
और जीवन में क्यारियां अभी खिलने को थी,
बहुत कुछ सीखने को अभी बाक़ी था
और खुद से मिलने को ज़िन्दगी तत्पर थी!

पर ये सफ़र यूँ चला है
कि मंज़िल का पता नहीं, राहें तन्हा है!
लगता है कि जैसे
सब कुछ बस एक सपना है!
बस सब कुछ सिर्फ एक याद बन कर रह गया है
कि जैसे कोई पुराने ज़माने का भटका हुआ लम्हा है!

सच बहुत कुछ बदल जाता है
जैसे जैसे उम्र छोटी होती जाती है
और ज़िन्दगी बड़ी!
बातें गीत बन जाती है,
मुलाक़ातें कहानियां बन जाती है,
वो मामूल जिससे ज़िन्दगी सजती थी
अब याद बन रह जाता है!
इरादें अब अधूरी सी नज़्म बन जाते है,
नज़दीकियां अब कविताओं में रह जाती है,
और ऐसा बहुत कुछ जो लफ़्ज़ों में नहीं समा पाता,
वो सारी ज़िन्दगानी खामोश लफ़्ज़ों की कहानी बन जाती है!

– साहिल
30 January, 2017